जांजगीर में गोठान बना कब्रगाह: 14 मवेशियों की रहस्यमयी मौत पर FIR, लापरवाही का खुला सबूत – अब उठने लगे बड़े सवाल!…
जांजगीर-चांपा। जिले के ग्राम सलखन गोठान में हुई 14 मवेशियों की मौत ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है। इस दर्दनाक घटना ने न सिर्फ प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सरकार की “गोधन न्याय योजना” की जमीनी हकीकत को भी उजागर कर दिया है।
मौत का मंजर जिसने हिला दिया ग्रामीणों को : दिनांक 06 अक्टूबर 2025 की सुबह जब ग्रामीण सलखन गोठान पहुंचे, तो वहां का दृश्य भयावह था,7 गाय और 7 बैल मृत पड़े थे। कुछ मवेशी झटका तार (इलेक्ट्रिक फेंस) के पास, तो कुछ पास ही बने नवा तालाब के मेढ़ पर बेजान पड़े थे। पास में ही 5 मवेशियों के कंकाल और 3 घायल पशु तड़पते मिले।
सूचना मिलते ही सहायक उपनिरीक्षक रामप्रसाद बघेल अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। मौके पर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), तहसीलदार, पशु चिकित्सक, पटवारी और पुलिस बल मौजूद थे। सभी ने घटनास्थल का निरीक्षण कर पंचनामा और स्थल नक्शा तैयार किया तथा मृत मवेशियों का पोस्टमार्टम वरिष्ठ पशु चिकित्सक, जांजगीर के माध्यम से कराया गया।
FIR दर्ज – पुलिस ने माना लापरवाही :
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक विजय कुमार पांडे (IPS) के निर्देश पर कार्रवाई तेज की गई। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमेश कुमार कश्यप के मार्गदर्शन और एसडीओपी चांपा यदुमणि सिदार के नेतृत्व में जांच शुरू की गई।
जांच के बाद पुलिस ने माना कि गोठान की देखरेख में गंभीर लापरवाही बरती गई, जिसके कारण इतने मवेशियों की मौत हुई।
इस आधार पर गोठान संरक्षक के खिलाफ
- धारा 325 भारतीय दंड संहिता
- धारा 11(1)(क) पशु क्रूरता निवारण अधिनियम
के तहत एफआईआर दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी गई है।
ग्रामीणों की मांग – “केवल संरक्षक नहीं, पूरा तंत्र जिम्मेदार” :
ग्रामीणों का कहना है कि गोठान की स्थिति लंबे समय से बदहाल थी। न तो पशुओं को पर्याप्त भोजन मिलता था, न ही स्वच्छ पानी। स्थानीय लोग आरोप लगा रहे हैं कि गोठान के संचालन में भारी भ्रष्टाचार और पशुपालन विभाग की उदासीनता के कारण यह हादसा हुआ। ग्रामीणों की मांग है कि सिर्फ गोठान संरक्षक नहीं, बल्कि पंचायत सचिव, पशुपालन अधिकारी और निगरानी समिति पर भी कार्रवाई हो।
❓ सवाल कई, जवाब कोई नहीं :
- आखिर इतने मवेशियों की मौत का असली कारण क्या था — जहरीला चारा, दूषित पानी या बिजली का झटका?
- गोठान के लिए जारी सरकारी अनुदान का वास्तविक उपयोग कहां हुआ?
- और सबसे अहम – क्या यह पहली बार हुआ, या ऐसी घटनाएं छिपाई जाती रही हैं?
प्रशासन पर अब निगाहें : पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना शुरू कर दी है, लेकिन ग्रामीणों और पशुप्रेमी संगठनों का कहना है कि केवल FIR काफी नहीं, बल्कि संपूर्ण प्रशासनिक जांच और जिम्मेदारों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
गोठान, जो छत्तीसगढ़ सरकार की “गांव-गांव में पशुओं के संरक्षण और स्वावलंबन” की योजना का प्रतीक है, अब सवालों के घेरे में है। सलखन की यह घटना दिखाती है कि योजना के नाम पर लापरवाही, भ्रष्टाचार और दिखावटी प्रबंधन ने पशुओं की जान ले ली।


