
रिपोर्टर — सुरज पुरेना
kabirdham / कबीरधाम जिले की 65 वर्षीय लक्ष्मी चौहान पिछले दो वर्षों से पेट में सूजन और असहनीय दर्द से पीड़ित थीं। हाल के दिनों में हालत बिगड़ने पर उन्हें सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) बिलासपुर के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में भर्ती कराया गया। मरीज को लगातार उल्टियां हो रही थीं और भोजन ग्रहण करने के साथ-साथ मल-मूत्र त्याग में भी परेशानी हो रही थी।
प्रारंभिक जांच के बाद डॉ. नेहा सिंह ने सोनोग्राफी कराई, जिसमें पेट में विशाल ट्यूमर की पुष्टि हुई। तत्काल मामला विभागाध्यक्ष डॉ. संगीता रमन जोगी के संज्ञान में लाया गया। मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉ. जोगी ने मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. लखन सिंह और अधिष्ठाता डॉ. रामनेश मूर्ति से चर्चा कर जीवन रक्षक सर्जरी की अनुमति ली।

सर्जरी के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम गठित की गई, जिसमें डॉ. संगीता रमन जोगी, डॉ. दीपिका सिंह, डॉ. रचना जैन, डॉ. अंजू गढ़वाल सहित निश्चेतना विभाग से डॉ. मधुमिता मूर्ति, डॉ. श्वेता, डॉ. प्राची और डॉ. आकांक्षा शामिल थीं। ऑपरेशन में नर्सिंग स्टाफ से ब्रदर अश्विनी ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लगभग तीन घंटे चली इस जटिल सर्जरी में डॉक्टरों की टीम ने महिला के पेट से 10 किलो 660 ग्राम वजनी ट्यूमर सफलतापूर्वक निकाला। यह ट्यूमर न केवल वजन में भारी था, बल्कि आंतों और अन्य आंतरिक अंगों को भी प्रभावित कर रहा था। सर्जरी पूरी तरह सफल रही और मरीज की हालत अब स्थिर एवं पहले से बेहतर है।
सिम्स प्रबंधन ने इस असाधारण सफलता के लिए डॉक्टरों और चिकित्सा टीम को बधाई दी है और उनके समर्पण व तत्परता की सराहना की है। यह उपलब्धि सिम्स की चिकित्सा क्षमता और विशेषज्ञता का प्रमाण है।