
रिपोर्टर — सुरज पुरेना
Bilaspur news / बिलासपुर स्थित ऑल इंडिया बुद्धिस्ट फोरम, भारतीय बौद्ध महासभा, डॉ. आंबेडकर युवा मंच, महिला सशक्तिकरण मंच सहित समस्त बौद्ध विहार समितियों ने एकजुट होकर जिलाधीश बिलासपुर के माध्यम से केंद्र सरकार से बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति अधिनियम 1949 (BTMC Act-1949) को निरस्त करने की मांग की है।

इन संगठनों का कहना है कि बोधगया मंदिर तथागत गौतम बुद्ध की ज्ञान स्थली है और यह सम्पूर्ण रूप से बौद्ध अनुयायियों की आस्था का केंद्र है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में लागू BTMC अधिनियम के तहत मंदिर की नौ सदस्यीय समिति में चार सदस्य गैर-बौद्ध (हिंदू धर्मावलंबी) शामिल हैं, जो अनुचित, अनुचित और असंवैधानिक है।

भारतीय बौद्ध महासभा के जिला अध्यक्ष राजेश हमने व महिला विंग की महासचिव सुजाता वाहने ने कहा कि अनुच्छेद 25 से 28 तक संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता और पूजा स्थलों के प्रबंधन का अधिकार देता है। ऐसे में गैर-बौद्ध व्यक्तियों का इस समिति में शामिल होना बौद्धों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

संगठनों ने आरोप लगाया कि मंदिर परिसर में गैर-बौद्ध गतिविधियों की वजह से बौद्ध श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत होती हैं और कई बार सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बनती है, जिससे देश की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावित हो रही है।
बौद्ध संगठनों की स्पष्ट मांग है कि BTMC अधिनियम 1949 को रद्द कर एक नया कानून लाया जाए, जिसमें मंदिर प्रबंधन का पूर्ण अधिकार केवल बौद्ध समाज को दिया जाए। इसके साथ ही बोधगया विहार का सम्पूर्ण नियंत्रण बौद्धों को सौंपा जाए ताकि बौद्ध रीति-रिवाजों के अनुरूप पूजा-पाठ और प्रबंधन सुनिश्चित हो सके।