शहीद पत्रकार मुकेश चंद्राकर के भाई का आक्रोश: “जान लेने वालों को सहानुभूति, जान बचाने वाले को उपेक्षा”
बस्तर के शहीद पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या का मामला जैसे-जैसे सुप्रीम कोर्ट में निर्णायक मोड़ पर पहुँच रहा है, वैसे-वैसे न्याय में हो रही कथित उपेक्षा को लेकर उनके बड़े भाई यूकेश चंद्राकर का आक्रोश फूट पड़ा है। अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से, यूकेश ने न्याय व्यवस्था, सरकार, और पत्रकार संगठनों की संवेदनशीलता पर सीधा और तीखा प्रहार किया है, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

यूकेश चंद्राकर ने अपने मार्मिक संदेश में देश की वर्तमान ‘इकतरफा’ व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने लिखा: “ज़िंदगी भर जान बचाने वाले के लिए भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय में एक भी वकील नहीं है, और ज़िंदगी भर जान लेने वाले के लिए इंडिया गेट पर ज़िंदाबाद चल रहा है।” यह टिप्पणी अपराधियों के प्रति कथित सहानुभूति और पीड़ित के प्रति उपेक्षा को दर्शाती है।
सुप्रीम कोर्ट में हत्यारों की याचिका पर सुनवाई
यूकेश ने बताया कि मुकेश चंद्राकर के हत्यारों ने अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जहाँ उन्होंने एक टेंडर प्रकरण में रिट पिटिशन दायर की है। इस याचिका पर 26 नवंबर की सुबह सुनवाई होनी है। यूकेश ने गंभीर आशंका व्यक्त की है कि यदि इस रिट याचिका में आरोपियों को राहत या जमानत मिलती है, तो “टुकड़े-टुकड़े कर हत्या कर शव को सेप्टिक टैंक में फेंकने वाले केस में भी इन्हें जमानत मिलने की आशंका बढ़ जाएगी।”
“मुकेश, तुम बेवकूफ थे… अब देख लो”
पीड़ित भाई की पीड़ा और गुस्सा उनके शब्दों में साफ झलकता है। उन्होंने अपने शहीद भाई को संबोधित करते हुए व्यवस्था पर करारा हमला किया: “मुकेश चंद्राकर, तुम बेवकूफ थे… अब देख लो, सबूत है यह देश और इसकी व्यवस्था।” यूकेश का आरोप है कि पत्रकार संगठनों ने पर्याप्त साथ नहीं दिया और सरकारों ने इस मामले में संवेदनशीलता नहीं दिखाई।
⚔️ सिस्टम के खिलाफ अकेले संघर्ष का एलान
न्याय में हो रही देरी और उपेक्षा से निराश यूकेश चंद्राकर ने पूरे सिस्टम के खिलाफ अकेले संघर्ष शुरू करने का एलान किया है। उन्होंने घोषणा की कि उनके अगले कदम उपेक्षित, गरीब, संघर्षशील और पीड़ित लोगों को पसंद आएंगे, क्योंकि वे “इस पूरे देश के सिस्टम से” अकेले लड़ बैठेंगे। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में यह भी कहा कि वे जल्द ही “आप सभी के खिलाफ़, देश के खिलाफ़, मानवजाति के खिलाफ़ बहुत बड़े सच” बोलने जा रहे हैं।
पत्रकार समुदाय में रोष
मुकेश चंद्राकर, जो बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अनियमितताओं को उजागर करने वाले एक जाँबाज पत्रकार थे, उनकी हत्या ने पूरे पत्रकार समुदाय को झकझोर दिया था। यूकेश का यह पोस्ट सामने आने के बाद प्रदेश और देश के पत्रकारों में रोष की लहर फैल गई है। कई पत्रकारों ने इस मामले को सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पत्रकारिता की सुरक्षा और सम्मान का मुद्दा बताया है, और न्याय के लिए एकजुट होने की अपील की है।


