
BHARTENDU KAUSHIK (REPORTER)

बिलासपुर / छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी द्वारा 20 नवम्बर 2024 को नव नियुक्त सिविल जज वर्ग-दो (प्रवेश स्तर) के इंडक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम के समापन समारोह का सफलता पूर्वक आयोजन किया गया।
समारोह में मुख्य अतिथि, न्यायमूर्ति श्री रमेश सिन्हा, मुख्य न्यायाधिपति, उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ द्वारा अपने विशेष संबोधन में न्यायाधीशों की भूमिका की महत्वपूर्णता पर जोर दिया। उन्होंने नव नियुक्त सिविल जजों को उनकी नवीन भूमिकाओं के लिए बधाई दी तथा व्यायपालिका में उनके पद के महत्व पर प्रकाश डाला। माननीय मुख्य न्यायाधिपति ने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी न्यायाधीशों को अपनी प्रशासनिक दक्षता के विकास हेतु न्यायालय के अंदर तथा न्यायालय के बाहर हो रही गतिविधियों पर भी ध्यान रखना चाहिये।
उन्होने सभी न्यायाधीशों को यह आश्वासन दिया कि न्यायिक अकादमी सदैव आपका मार्गदर्शन करने के लिए तत्पर है तथा आप किसी भी समस्या हेतु न्यायिक अकादमी से सम्पर्क करने में कभी संकोच ना करे। माननीय मुख्य न्यायाधिपति ने यह भी बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम इस प्रकार तैयार किया गया था जिससे न्यायाधीशों के विधि को व्यावहारिक रूप से लागू करने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्राप्त हो।
उनके द्वारा नव नियुक्त न्यायाधीशों का ध्यान इस तरफ भी आकृष्ट कराया गया कि न्यायाधीश की कार्यशैली पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए और ये गुण उनके आदेश और निर्णयों में भी परिलक्षित होने चाहिए।

अपने संबोधन में मुख्य न्यायाधिपति ने प्रतिभागियों को तकनीकी दक्षता हासिल करने और कानून के लगातार बदलते पहलुओं के साथ चलने के लिए निरंतर शिक्षा की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उनके द्वारा यह भी बताया गया कि वर्तमान समय में तकनीकी की सहायता से वे अपने कार्यालयीन कक्ष से छत्तीसगढ़ के सभी न्यायालयों से सम्पर्क कर सकते हैं।
स्वागत और प्रारंभिक संबोधन में माननीय न्यायमूर्ति श्रीमति रजनी दुबे ने न्यायाधीशों की नवीन भूमिकाओं के साथ जुड़े दायित्वों की गंभीरता पर बल दिया। उन्होंने नव नियुक्त न्यायाधीशों से हमेशा निष्पक्षता, ईमानदारी तथा सहानुभूति के साथ कर्तव्य निर्वहन करने पर जोर दिया। उनके द्वारा सभी न्यायाधीशों को यह सुझाव दिया गया

कि वे अपनी छतीसगढ़ी बोली के संबंध में अपनी दक्षता को बढ़ायें क्योंकि न्यायालय में आने वाले अधिकतर पक्षकार इसी बोली में तथ्यों को व्यक्त करते हैं। उनके द्वारा न्यायाधीशगण से यह भी अपेक्षा की गई कि वे निरंतर शिक्षा के मूल्यों को बनाये रखें। माननीय न्यायमूर्ति श्रीमति रजनी दुबे ने ब्याथिक आवरण के उच्चतम मानकों को बनाए रखने की आवश्यकता को उजागर किया और न्यायाधीशों को न्याय के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिवद्धता को अडिग बनाए रखने के लिए प्रेरित किया।
इस कार्यक्रम में श्री बलराम प्रसाद वर्मा, रजिस्ट्रार जनरल, उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ एवं श्री सिराजुदीन कुरैशी, निदेशक, छ.ग. राज्य न्यायिक अकादमी भी उपस्थित थे।