

जिला – बिलासपुर। आयुर्वेद चिकित्सालय में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए वर्षों से चल रही स्वर्ण प्राशन योजना अचानक सामग्री की भारी कमी और फंड की पूरी तरह से समाप्ति के कारण ठप हो गई है। यह स्थिति न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि मासूम बच्चों की सेहत के साथ खुलेआम खिलवाड़ भी है।
परिजन हैरान और परेशान हैं, पर जिम्मेदार अफसरों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा! न कोई वैकल्पिक व्यवस्था, न कोई स्पष्ट जवाब – बस एक सर्द सूचना कि “सामग्री और फंड उपलब्ध नहीं हैं।”
अब सवाल उठता है – क्या स्वास्थ्य सेवाएं यूं ही अधर में लटकती रहेंगी?

क्या बच्चों की इम्युनिटी को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है?चिकित्सालय प्रशासन की ओर से यह कहा जा रहा है कि सामग्री और फंड मिलने पर ही शिविर फिर से शुरू होगा, और तब सूचना ग्रुप में साझा की जाएगी। परंतु इस अनिश्चितता ने आमजन में आक्रोश और चिंता दोनों बढ़ा दिए हैं। जनता पूछ रही है – क्या आयुर्वेद सिर्फ भाषणों में जिंदा रहेगा?अब देखना होगा कि जिम्मेदार कब जागते हैं और मासूमों के स्वास्थ्य की ये अनदेखी कब खत्म होती है!