
रिपोर्टर — सुरज पुरेना
Bilaspur news / न्यायधानी से एक दर्दनाक और शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। चिंगराजपारा में नगर निगम की तोड़फोड़ कार्रवाई के बाद कैंसर पीड़ित मासूम अंशुल की मौत से गुस्साए परिजनों और मोहल्लेवासियों ने शव के साथ कलेक्ट्रेट पहुँचकर प्रदर्शन किया।
संतोष यादव का घर निगम ने उस वक्त तोड़ा जब वह अपने बीमार बेटे अंशुल का इलाज कराने रायपुर गए थे। अंशुल की हालत पहले से गंभीर थी और घर टूटने की खबर से उसे गहरा सदमा लगा। गुरुवार रात उसने दम तोड़ दिया।

शुक्रवार सुबह जब एम्बुलेंस से शव लाया गया, तो मोहल्लेवालों ने विरोध करते हुए एम्बुलेंस को कलेक्ट्रेट तक ले जाकर गेट पर ही प्रदर्शन शुरू कर दिया। रास्तेभर जाम लगा रहा, लेकिन प्रशासन की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

लोगों ने निगम पर सवाल उठाए कि रसूखदारों को छोड़ गरीबों पर कार्रवाई क्यों की जाती है। मृतक के परिवार ने घर फिर से बनाने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। करीब एक घंटे के हंगामे के बाद परिजनों को कलेक्टर से मिलने बुलाया गया।
यह वही बच्चा था जिसके इलाज के लिए वार्ड पार्षद दिलीप पाटिल ने खुद कलेक्टर से मदद की अपील की थी। पर सवाल यही है—गरीब की चीख सुनने वाला आखिर है कौन?