
रिपोर्टर —- सुरज पुरेना
Bilaspur news / छत्तीसगढ़ शासन द्वारा हाल ही में लागू किए गए उस नियम का प्रदेशभर में विरोध शुरू हो गया है, जिसमें 5 डिसमिल (लगभग 2180 वर्गफुट) से कम भूमि की रजिस्ट्री पर रोक लगाई गई है। इस फैसले को गरीब, निम्न एवं मध्यम वर्ग के लिए आवास निर्माण के अधिकार पर सीधा हमला बताया जा रहा है।
विरोध स्वरूप सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि प्रदेश की बड़ी आबादी आज भी गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन कर रही है। ऐसे में भूमि की न्यूनतम सीमा तय करना और उसे बाजार मूल्य पर बेचना गरीबों के लिए मजाक बनकर रह जाएगा। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि बढ़ती जमीन की कीमतों के बीच छोटे भूखंडों पर आश्रय बनाना ही गरीब वर्ग के लिए एकमात्र विकल्प है, जिसे अब छीन लिया गया है।

विरोधकर्ताओं ने कहा है कि यदि सरकार को कोई नियमन लाना ही था तो पहले प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं को विस्तार देना चाहिए था। साथ ही बताया गया कि प्रधानमंत्री आवास योजना में दो डिसमिल भूमि पर भी मकान स्वीकृत है, जो इस नए नियम से सीधा टकराव रखता है।
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि यह फैसला न केवल संविधान में दिए गए संपत्ति के अधिकार (अनुच्छेद 19(1)(f)) का उल्लंघन है, बल्कि इससे निर्माण क्षेत्र, दैनिक श्रमिकों व स्थानीय निर्माण सामग्री विक्रेताओं का रोजगार भी छिन जाएगा।
ज्ञापन में मांग की गई है कि यह जनविरोधी निर्णय तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए, और यदि कोई नियमन लाना ही है तो जनसुनवाई और व्यवहारिक अध्ययन के बाद लाया जाए। साथ ही गरीब व मध्यम वर्ग के लिए सस्ती, वैध एवं छोटी प्लॉट की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।