
रिपोर्टर — सुरज पुरेना
बिलासपुर न्यूज / सुशासन तिहार के दौरान जिला प्रशासन द्वारा हजारों आवेदनों और शिकायतों के त्वरित निराकरण के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत इससे उलट तस्वीर पेश कर रही है। मंगलवार को कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजित जनदर्शन में दूर-दराज़ के गांवों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। सुबह से ही लंबी कतारें लगी रहीं, जो सुशासन के दावों की हकीकत बयां कर रही थीं।

जनदर्शन में सबसे अधिक मामले प्रधानमंत्री आवास योजना से संबंधित रहे। ग्रामीणों का कहना था कि पात्र होने के बावजूद उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। जबकि जिले में अब तक लगभग 60 हजार आवास स्वीकृत होने का दावा किया जाता है, लेकिन इसके बावजूद कई पात्र परिवार आज भी आवास से वंचित हैं। ग्राम मदनपुर से पहुंची मीराबाई कोसले ने बताया कि पात्र सूची में नाम होने के बावजूद उन्हें आवास नहीं मिला।

इसके अलावा कई ग्रामीणों ने गांव के स्कूलों में शिक्षकों की कमी का मुद्दा उठाया। उनका कहना था कि लगातार शिकायतों के बावजूद शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की जा रही, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। जनदर्शन में भूमि विवाद और मुआवजा वितरण से जुड़ी समस्याएं भी प्रमुखता से सामने आईं। कई लोगों ने आर्थिक तंगी और बेरोजगारी के चलते आर्थिक सहायता की मांग भी रखी।

कलेक्टर संजय अग्रवाल ने मौके पर मौजूद अधिकारियों को निर्देश दिए कि ऐसे मामलों में पात्रता के अनुसार तुरंत सहायता प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि संवेदनशीलता के साथ सभी मामलों का शीघ्र निराकरण किया जाए, ताकि जरूरतमंदों को राहत मिल सके।
जनदर्शन के साथ ही मंगलवार को टीएल (टाइम लिमिट) बैठक भी आयोजित हुई। बैठक में कलेक्टर ने सभी विभागीय अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि जनदर्शन में प्राप्त शिकायतों और अन्य लंबित मामलों का समय-सीमा में निराकरण सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि सुशासन तिहार का वास्तविक उद्देश्य तभी पूरा होगा, जब आम जनता की समस्याओं का समाधान धरातल पर होगा, न कि केवल दावों में।