
रिपोर्टर — सुरज पुरेना
Bilaspur / कोटवार संघ ने एक बार फिर अपनी चार प्रमुख मांगों को लेकर शासन-प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया है। प्रमुख मांगों में वर्ष 1950 के पूर्व भूतपूर्व मालगुजारों द्वारा दी गई भूमि का मालिकाना हक प्रदान करने, पारिश्रमिक में संशोधन, वर्दी के रंग में बदलाव तथा दो बर्खास्त कोटवारों की बहाली शामिल है।
कोटवारों का कहना है कि स्वतंत्रता पूर्व काल में उन्हें सेवा के बदले में भूतपूर्व मालगुजारों द्वारा भूमि दी गई थी, जिस पर वे आज भी काबिज हैं। नाई, धोबी, रावत, पुजारी जैसे अन्य वर्गों को जहां इस भूमि पर मालिकाना हक दे दिया गया, वहीं कोटवारों को अब तक यह अधिकार नहीं दिया गया है। वे भी उसी श्रेणी में आते हैं और उनके लिए भी मालिकाना हक न्यायसंगत होगा।

वर्तमान में पारिश्रमिक को सेवा भूमि की श्रेणी के अनुसार तय किया गया है, जिसमें कई विसंगतियाँ हैं। कोटवारों ने समान पद के लिए समान पारिश्रमिक की मांग की है।
इसके अलावा, ब्रिटिश शासन काल से चली आ रही नीली वर्दी के स्थान पर अब खाकी रंग की वर्दी की मांग की गई है, जिससे उनकी पहचान सशक्त हो।
सबसे गंभीर मामला ग्राम बसहा के कोटवार संतोष गंधर्व और ग्राम सेमरताल के परमेश्वर मानिकपुरी की एकपक्षीय बर्खास्तगी का है। संघ ने आरोप लगाया है कि इन मामलों में दोषी अन्य कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कोटवारों ने निष्पक्ष जांच और पुनर्बहाली की मांग की है।