
रिपोर्टर — सुरज पुरेना
बिलासपुर / 2025 — वर्ष 2024 के स्वच्छता सर्वेक्षण में बिलासपुर को देशभर में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है, लेकिन इस रैंकिंग पर शहरवासियों को आश्चर्य हो रहा है। इसकी प्रमुख वजह है शहर की वास्तविक स्थिति, जो इस सम्मान के बिल्कुल विपरीत नजर आती है।
क्या बिलासपुर साफ सफाई के नाम से राजनीति का शिकार तो नहीं हो गया !
बारिश के मौसम में अधिकांश नालियां जाम पड़ी हैं। कई मोहल्लों में सड़कों और गलियों में घुटनों तक पानी भर जाता है। बुधवारी बाजार, शनिचरी बाजार, गोल बाजार, सदर बाजार और सिम्स अस्पताल जैसे क्षेत्रों में खुलेआम कचरे के ढेर लगे हुए देखे जा सकते हैं। रेलवे स्टेशन के आसपास भी नियमित सफाई का अभाव साफ झलकता है।
केवल सर्वेक्षण के समय सजावट करने से शहर स्वच्छ नहीं बनता
स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर निगम केवल स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान दिखावे के लिए अभियान चलाता है। आम दिनों में सफाई व्यवस्था लचर रहती है। सड़कों की स्थिति, नालियों की सफाई और सार्वजनिक शौचालयों की हालत सवालों के घेरे में है। कई जगहों पर कचरे के ढेर से दुर्गंध उठ रही है, जिससे रहवासी और दुकानदार दोनों परेशान हैं।
वहीं, नगर निगम का दावा है कि शहर में सफाई व्यवस्था में निरंतर सुधार किया जा रहा है और नागरिकों की सहभागिता से शहर को स्वच्छ बनाए रखने का प्रयास जारी है।
हालांकि, जमीनी सच्चाई यह बताती है कि शहर को “नंबर दो” की रैंकिंग सिर्फ दिखावे की साफ-सफाई से मिली है, स्थायी व्यवस्था की कमी अब भी साफ झलकती है।