सिंधी समाज की महिला के साथ मारपीट और अशोभनीय हरकत आरोपी खुद को समाजसेवी बताने वाला, जमीन कब्जाने और पैसों की हेराफेरी में पहले भी रहा विवादों में !
बिलासपुर। अपने ही समाज की महिला के साथ मारपीट, छेड़छाड़ और जबरन कब्जे का मामला सिटी कोतवाली थाने पहुँचा है। पीड़िता सरिता पंजवानी ने अपने साथ हुई मारपीट और अशोभनीय हरकत की शिकायत दर्ज कराई है।
जानकारी के अनुसार, सरिता पंजवानी की तीन मंजिला दुकान के ग्राउंड फ्लोर पर प्रीतम अंडवानी पिछले सात वर्षों से जबरदस्ती कब्जा किए हुए हैं। कई बार समझाइश देने के बावजूद आरोपी न तो दुकान खाली कर रहा था, न ही सम्मानजनक व्यवहार कर रहा था।

महिला ने बताया कि जब वह दुकान पहुँचीं, तो आरोपी बिना अनुमति के निर्माण कार्य कर रहा था। विरोध करने पर प्रीतम अंडवानी, नंदू अंडवानी और उसके बेटे ने गालियां दीं, मारपीट की, महिला को गलत तरीके से छूते हुए सीने पर धक्का दिया, और जान से मारने की धमकी दी।
बीच-बचाव करने आई बेटी दिशानी पंजवानी के साथ भी बदसलूकी कर उसे जमीन पर पटक दिया गया। दोनों को चोटें आई हैं।
सिटी कोतवाली पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ BNS की धाराएँ 296, 115(2), 351(2), 3(5) के तहत मामला दर्ज किया है।
हालाँकि, पीड़िता और जानकारों का कहना है कि इस घटना में महिला की अस्मिता से जुड़ी गंभीर धारा BNS 64 (पूर्व IPC 354) भी जोड़नी चाहिए थी, क्योंकि मामला केवल मारपीट का नहीं बल्कि अशोभनीय हरकत का भी है।
पुलिस कार्रवाई पर भी संदेह एक महिला के ऊपर अस्मिता को तार तार करने वाला आरोपी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर मामूली धाराएं आखिर क्यों ?
जानकारों का दावा:
प्रीतम अंडवानी पहले भी विवादों में रहा है। सूत्रों के अनुसार, वह कई लोगों के वीसी निवेश (VC money) हड़प चुका है और जमीन कब्जाने में माहिर माना जाता है। बावजूद इसके, वह खुद को “समाजसेवी” और “समाज का नेता” बताता फिरता है।
समाज में इस घटना को लेकर काफी आक्रोश है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर एक महिला के साथ इस तरह की हरकत करने वाले व्यक्ति पर अभी तक कड़ी धाराएँ क्यों नहीं लगाई गईं?
पीड़िता सरिता पंजवानी ने प्रशासन से न्याय की मांग की है और कहा है कि जब तक सच्चे अर्थों में कार्रवाई नहीं होती, तब तक वह चुप नहीं बैठेंगी।


