
आदिवासी सरकार के संरक्षण में बने गुंडे: कानून व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल
मध्य प्रदेश के मऊगंज और सीधी जिले में हाल ही में हुई घटनाओं ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर सरकार आदिवासियों के उत्थान और सुरक्षा की बात करती है, वहीं दूसरी ओर कुछ असामाजिक तत्व आदिवासी समाज के नाम पर सरकार के संरक्षण में खुलेआम गुंडागर्दी कर रहे हैं।
मऊगंज की घटना: युवक और पुलिस अधिकारी की हत्या से दहशत
मऊगंज में हाल ही में एक युवक सनी और एक पुलिस ASI की बेरहमी से हत्या कर दी गई। बताया जा रहा है कि अपराधियों ने बेखौफ होकर इस वारदात को अंजाम दिया और पुलिस प्रशासन कुछ नहीं कर पाया। स्थानीय लोगों का कहना है कि अपराधी राजनीतिक संरक्षण में हैं, जिसके चलते उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हो रही है।

सीधी की घटना: कानून की धज्जियां उड़ाता तंत्र
सीधी जिले में भी इसी तरह की घटना घटी, जहां आदिवासी समाज के कुछ असामाजिक तत्वों ने खुद को सरकार का खास बताकर खुलेआम गुंडई की। आरोपियों ने एक व्यक्ति की पिटाई की और उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि प्रशासन ने आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
आदिवासी संरक्षण या अपराधियों को खुली छूट?
इन घटनाओं से साफ है कि कुछ असामाजिक तत्व आदिवासी समाज के नाम पर सरकार की छत्रछाया में अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं। सवाल यह उठता है कि जब अपराधियों को संरक्षण मिलेगा तो आम जनता कहां जाएगी?
जनता की मांग: कड़ी कार्रवाई हो
स्थानीय लोगों की मांग है कि सरकार इन घटनाओं को गंभीरता से ले और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे, ताकि प्रदेश में कानून व्यवस्था कायम रह सके। अगर समय रहते प्रशासन ने सख्त कदम नहीं उठाए, तो हालात और भी बिगड़ सकते हैं।