
पीड़ित देवी ने ठोकी ताल, बोलीं- मेरी जमीन पर कब्जा? SP साहब, अब तो इंसाफ दो!

RAIGARH :- “अरे, ये क्या तमाशा है? मेरी जमीन, मेरे खून-पसीने की कमाई, और कोई और उस पर महल खड़ा करे? नहीं चलेगा!” – ये गुस्सा है 62 साल की अरुंधती देवी का, जिन्होंने रायगढ़ के गढ़भीतर, राजापारा मोहल्ले में अपनी निजी जमीन पर कथित अवैध कब्जे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। निशाने पर हैं जितेंद्र सिंह, जो सेंट्रल स्कूल के पास, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी का रहने वाला बताया जा रहा है। मामला इतना पेचीदा है कि मोहल्ले से लेकर SP ऑफिस तक हलचल मची हुई है!

क्या है पूरा माजरा?
बात शुरू होती है नजूल शीट नंबर 56, प्लॉट नंबर 219 से, जो 175 वर्ग मीटर (1884 वर्ग फीट) की जमीन है। ये जमीन अरुंधती देवी और उनकी बड़ी बहन जैमन देवी के नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज थी। जैमन देवी का 2018 में निधन हो गया, और तब से अरुंधती देवी अकेले इस जमीन की मालिक और रखवाली कर रही हैं। पीड़ित देवी ने बताया, “मैंने तो नजूल अधिकारी के पास अपनी बहन का नाम रिकॉर्ड से हटाने के लिए अर्जी भी डाल रखी है, जो अभी विचाराधीन है। लेकिन उससे पहले ही ये जितेंद्र सिंह आ धमका!”
26 मार्च का ‘कब्जा ड्रामा’
अरुंधती देवी के मुताबिक, 26 मार्च 2025 को जितेंद्र सिंह ने उनकी जमीन पर धावा बोला। बांस-बल्ली तोड़कर, नींव खोदकर, और दीवारें खड़ी करने का खेल शुरू कर दिया। नानी ने जब टोका, तो जवाब मिला- “चुप रहो, ये अब हमारा है!” पीड़ित देवी बोलीं, “मैंने मना किया, चिल्लाई, समझाया, पर वो कहां मानने वाला था? उल्टा तेजी से निर्माण शुरू कर दिया, जैसे कोई रेस जीतने की जल्दी हो!”

तहसीलदार का आदेश भी बेअसर
अरुंधती देवी ने हार नहीं मानी। उन्होंने तहसीलदार नजूल, रायगढ़ के पास धारा 250 छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता के तहत जितेंद्र सिंह के खिलाफ शिकायत ठोक दी। नतीजा? 27 मार्च 2025 को तहसीलदार ने साफ-साफ आदेश दिया- “निर्माण बंद करो!” लेकिन जितेंद्र सिंह ने इस फरमान को जूते की नोक पर रखा और दीवारें चढ़ाने का सिलसिला जारी रखा। पीड़ित देवी का गुस्सा सातवें आसमान पर था। “कोर्ट का आदेश भी इनके लिए मजाक है? ये तो सरासर गुंडागर्दी है!”
कोतवाली में नहीं मिली राहत, SP बने आखिरी सहारा
पीड़ित देवी ने सिटी कोतवाली का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से कोई खास मदद नहीं मिली। “मैं बूढ़ी औरत, दिनभर चक्कर काटती रही, पर सुनवाई नहीं हुई। टी.आई साहब सिर्फ घूमते रहे और नजर अंदाज करते रहे। आखिरकार मुझे SP साहब की शरण में आना पड़ा,” पीड़ित देवी ने आंसुओं के बीच बताया। आज, 12 अप्रैल को अरुंधती देवी ने रायगढ़ पुलिस अधीक्षक के नाम एक लंबा-चौड़ा ज्ञापन सौंपा। इसमें उन्होंने सारी कहानी बयां करते हुए मांग की कि जितेंद्र सिंह का अवैध निर्माण रोका जाए, बन चुके हिस्से को ढहाया जाए, और कोर्ट के आदेश का पालन कराया जाए।
पीड़ित देवी की पुकार: “अब इंसाफ चाहिए!”
अरुंधती देवी का कहना है कि अगर निर्माण नहीं रुका, तो उन्हें कानूनी पचड़ों में उलझना पड़ेगा, और उनकी मेहनत की कमाई डूब जाएगी। “मैंने ये जमीन अपने बच्चों के लिए संजोई थी। अब कोई आए और छीन ले? मैं आखिरी सांस तक लड़ूंगी!” उनकी आवाज में दर्द और हौसला दोनों थे।
मोहल्ले में चर्चा, लोग बोले- “नानी रॉकस्टार!”
गढ़भीतर और राजापारा में ये मामला अब गली-गली की सुर्खियां बटोर रहा है। पड़ोसी रामू काका ने कहा, “नजूल की जमीन पर कब्जे का खेल तो पुराना है, लेकिन पीड़ित देवी ने जिस हिम्मत से मुकाबला किया, वो काबिल-ए-तारीफ है!” वहीं, पास की चाय की दुकान पर बैठे युवा रवि ने चुटकी ली, “जितेंद्र भैया को लगता है कोर्ट-कचहरी सब उनकी जेब में है, पर पीड़ित देवी ने SP तक बात पहुंचा दी, अब देखो मजा!”
SP ऑफिस का रुख और भविष्य की राह
SP कार्यालय ने ज्ञापन लेते हुए मामले की जांच का वादा किया है। सूत्रों की मानें, तो पुलिस अब जमीन के दस्तावेज, कोर्ट के आदेश, और जितेंद्र सिंह के दावों की पड़ताल करेगी। लेकिन सवाल ये है कि क्या पीड़ित देवी को जल्द इंसाफ मिलेगा, या ये मामला कागजों में उलझकर रह जाएगा?
नजूल जमीन का पुराना रोग
रायगढ़ में नजूल जमीन पर कब्जे की कहानियां कोई नई नहीं हैं। जानकारों का कहना है कि राजस्व रिकॉर्ड में गड़बड़ी और अधिकारियों की लापरवाही की वजह से ऐसे विवाद बार-बार उभरते हैं। लेकिन अरुंधती देवी की कहानी इसलिए खास है, क्योंकि उन्होंने न सिर्फ हिम्मत दिखाई, बल्कि सिस्टम को चुनौती देने का जज्बा भी जताया।
अब क्या होगा?
क्या जितेंद्र सिंह की मनमानी पर लगाम लगेगी? क्या अरुंधती देवी अपनी जमीन बचा पाएंगी? या फिर ये मामला कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसकर सालों तक खिंचेगा? फिलहाल, सारी निगाहें SP ऑफिस पर टिकी हैं। और हां, मोहल्ले वाले पीड़ित देवी को अब “जमीन की जंगबाज” कहकर बुलाने लगे हैं!
मामले पर क्या कहा थाना प्रभारी सुखनंदन पटेल
जब हमने इस मामले की जानकारी मांगी तब सिटी कोतवाली थाना प्रभारी सुखनंदन पटेल ने कहा मुझे जानकारी नहीं है बरहाल शिकायत दिए हुए दो दिन बीत चुके। कार्यवाही पर देरी क्यों? आखिर पीड़ित को इंसाफ दिलाने में असमर्थ क्यों सिटी कोतवाली पुलिस?