
सट्टे की महफिल में खाकी की नीलामी – पुलिस ने न्याय को शराब में डुबो दिया…!”
रायपुर। छत्तीसगढ़ की खाकी पर इस बार सिर्फ दाग नहीं, बल्कि पूरा कालिख़ पोता गया है। महादेव सट्टा ऐप घोटाले में जिस सटोरिए को फरार बताया जा रहा था, वो पुलिस अफसरों के साथ ठहाके लगाता, जाम छलकाता और पार्टी उड़ाता कैमरे में कैद हो गया। तस्वीरें सोशल मीडिया पर क्या आईं – पूरे प्रदेश में मानो आग लग गई हो।
तीन साल से फरार सटोरिया, लेकिन पुलिस अफसरों का जिगरी यार : महादेव सट्टा कांड का मोस्ट वांटेड आरोपी धर्मेंद्र जायसवाल, जो पुलिस रिकॉर्ड में फरार है, जामुल थाना प्रभारी कपिल देव पांडे, तत्कालीन छावनी थाना प्रभारी चेतन चंद्राकर और एएसपी सिटी सुखनंदन राठौर के साथ भिलाई के श्रीराम हाइट्स की एक आलीशान पार्टी में गलबहियां डाले दिखाई देता है। उसका भाई मिहिर जायसवाल, जिस पर जानलेवा हमले का केस दर्ज है, वो भी महफिल में शान से मौजूद है।

सिर्फ साजिश नहीं, यह ‘संरक्षण’ का खुला खेल है : इस वायरल पार्टी की तस्वीरें ये बताने के लिए काफी हैं कि छत्तीसगढ़ में अपराधी पुलिस से नहीं डरते, बल्कि उनके मेहमान बनते हैं। सट्टा किंग धर्मेंद्र जायसवाल को ढूंढ़ने की बात करने वाली पुलिस ही उसके साथ जाम में जाम टकराती दिख रही है। ये वही सटोरिया है जिस पर करोड़ों के हवाला नेटवर्क, मनी लॉन्ड्रिंग और महादेव ऐप के विदेशी कनेक्शन के आरोप हैं।
डीजीपी की नींद टूटी, कार्रवाई का नाटक शुरू : जनता में मचे बवाल के बाद डीजीपी अरुण देव गौतम ने संज्ञान लिया और कपिल देव पांडे व चेतन चंद्राकर को पीएचक्यू अटैच कर दिया। लेकिन क्या यही काफी है? सवाल यह है कि इन अफसरों पर आपराधिक सांठगांठ का केस क्यों नहीं दर्ज हुआ? विभागीय जांच का ढोल अब पीटा जा रहा है, लेकिन यह भी कहीं लीपापोती बनकर न रह जाए, इसकी आशंका गहरी है।
CBI की दबिश और बड़े अफसरों पर शिकंजा : इस पूरे सट्टा सिंडिकेट के तार जब चर्चित आईपीएस अधिकारी डॉ. अभिषेक पल्लव तक पहुंचे, तो CBI ने उनके आवास पर छापेमारी कर दी। ये वही अफसर हैं जिन पर पहले भी कई गंभीर आरोप लग चुके हैं। अब यह स्पष्ट हो चुका है कि महादेव ऐप कोई सामान्य जुआ नहीं, बल्कि एक संगठित माफिया नेटवर्क है, जिसमें सत्ता, प्रशासन और अपराध के तिकड़ी गठबंधन ने जनता को लूटने का मशीन खड़ा किया है।
जनता का सवाल: सटोरिए को संरक्षण कौन दे रहा है? : कौन है वो हाथ जो फरार अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं? कौन हैं वे अधिकारी जिनकी वर्दी की इज्जत अब सटोरियों के पैर धो रही है? जब अफसर जश्न में मग्न हों और अपराधी उनकी बगल में हों तब न्याय की उम्मीद करना एक क्रूर मज़ाक बन जाता है।
ये कोई पार्टी नहीं, व्यवस्था की शवयात्रा थी : महादेव ऐप घोटाला अब सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं, यह जनता के भरोसे का कत्ल है।