
सुरज पुरेना की खास रिपोर्ट
Bilaspur / घरेलू गैस, पेट्रोल और शराब के अवैध कारोबार पर लगातार पुलिस की कार्रवाई के बावजूद फूड और आबकारी विभाग की चुप्पी अब सवालों के घेरे में है। सरकंडा थाना प्रभारी निलेश पांडेय और उनकी टीम ने हाल ही में अवैध घरेलू गैस रिफिलिंग का भंडाफोड़ कर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। इससे पहले चाटीडीह सब्जी मंडी क्षेत्र में अवैध रूप से पेट्रोल बेचने वालों को भी पकड़ा गया था।

पुलिस की लगातार कार्रवाई यह दर्शाती है कि शहर में अवैध कारोबार किस हद तक फैला हुआ है, लेकिन सवाल यह उठता है कि जब फूड विभाग और आबकारी विभाग जैसे जिम्मेदार महकमे मौजूद हैं, तो फिर इन कार्यवाहियों के लिए केवल पुलिस ही क्यों सक्रिय है? क्या विभागीय अमले की निष्क्रियता या मिलीभगत इसके पीछे है?
पुलिस जहां रोजाना अवैध शराब निर्माण और बिक्री पर कार्रवाई कर रही है, वहीं फूड विभाग का कार्यालय अक्सर बंद मिलता है। वहीं आबकारी विभाग की उपस्थिति भी कहीं नजर नहीं आती।

शहर ही नहीं, पूरे जिले में सब्सिडी वाले घरेलू गैस सिलेंडरों का खुलेआम दुरुपयोग हो रहा है। चाय, गुपचुप, चाट, ठेले-खोमचों और छोटे-बड़े होटलों से लेकर मेलों और चौपाटियों तक घरेलू गैस का अवैध इस्तेमाल आम बात हो गई है।
आखिर क्यों जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई से बच रहे हैं? क्यों पुलिस को ही हर मोर्चे पर उतरना पड़ रहा है? यह स्थिति फूड और आबकारी विभाग की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है। अब जरूरत है कि प्रशासन इस पर सख्ती से संज्ञान ले और जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब मांगे।