
रिपोर्टर — सुरज पुरेना
बिलासपुर न्यूज | देशभर में 2 अक्टूबर 1975 से शुरू हुई आईसीडीएस योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत कार्यकर्ता व सहायिकाएं लगातार सेवा दे रही हैं। लेकिन 50 साल का लंबा समय बीतने के बावजूद इन्हें आज तक शासकीय कर्मचारी का दर्जा नहीं मिला। न ही इन्हें न्यूनतम वेतन, पेंशन, ग्रेज्युटी, बीमा और अन्य सुविधाएं मिल पाई हैं। इन्हीं मांगों को लेकर सोमवार 01 सितम्बर 2025 को छत्तीसगढ़ के सभी जिला मुख्यालयों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाओं ने धरना, सभा व रैली आयोजित कर सरकार को ज्ञापन सौंपा।

बिलासपुर में नेहरू चौक से कलेक्टर ऑफिस तक रैली निकालकर घेराव किया गया। इस दौरान गीतांजलि पांडे, भारती मिश्रा, सीमा एक्का, नीतू सोमवार, शाकीरा खान, ज्योति शुक्ला, शशि यादव, गीता सिंहक्षत्री, मनीषा चौधरी, सत्या खांडे, छाया मिश्रा, चंदा क्षत्री, द्रकली कौशिक, रजनी कश्यप, सुनीता साहू, शीला कौशिक, विमला मिश्रा, गोदावरी यादव समेत 600 से 700 कार्यकर्ता-सहायिकाएं शामिल रहीं।
जिला अध्यक्ष भारती ने बताया कि वर्तमान में कार्यकर्ता को केंद्र सरकार से मात्र ₹4500 और सहायिका को ₹2250 मानदेय दिया जाता है, जो न्यूनतम वेतन से भी काफी कम है। संगठन की प्रमुख मांग है कि कार्यकर्ता को तृतीय श्रेणी और सहायिका को चतुर्थ श्रेणी शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाए। जब तक शासकीयकरण नहीं होता, तब तक कार्यकर्ता को ₹26,000 और सहायिका को ₹22,100 प्रतिमाह वेतन दिया जाए।

इसके अलावा पेंशन, ग्रेज्युटी, समूह बीमा, कैशलेस चिकित्सा सुविधा, पदोन्नति, महंगाई भत्ता और आकस्मिक मृत्यु पर अनुकंपा नियुक्ति जैसी मांगें भी रखी गईं। संगठन ने डिजिटल व्यवस्था (फेस कैप्चर, FRS, e-KYC) को बंद कर पारंपरिक ऑफलाइन प्रणाली लागू करने की मांग की।
50 वर्षों से सेवा कर रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाएं 4500 रुपए में परिवार व बच्चों की पढ़ाई नहीं चला पा रही हैं। रोज़ी-रोटी का संकट गहराता जा रहा है। उनका कहना है कि अगर नेता-मंत्री इतने में जीवन यापन कर सकते हैं तो करके दिखाएं, अन्यथा समाधान न देने वाली ऐसी सरकार को पदों पर बने रहने का कोई हक नहीं और ऐसी सरकार को तत्काल इस्तीफा दे।

बहरहाल, 27 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाओं की मांगें एक बार फिर से तेज हो गई हैं। सवाल है कि केंद्र और राज्य दोनों जगह एक ही सरकार होने के बावजूद उनकी इन बुनियादी समस्याओं का समाधान कब होगा।