
BHARTENDU KAUSHIK (REPORTER)

बिलासपुर/ छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्यमंत्री जी को छत्तीसगढ़ मछुआ महासंघ की ओर से हार्दिक अभिवादन के साथ निवेदन है, कि प्रदेश में केंवट, ढीमर, कहार, कहरा, मल्लाह जाति सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं शैक्षणिक दृष्टिकोण से काफी पिछड़ी हुई है. इस समुदाय को आरक्षण की नितांत आवश्यकता है।
इन जातियों को 7 जनवरी 1950 को जारी भारत शासन के राजपत्र में मांझी अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत परिभाषित किया गया है, इसी संबंध में तात्कालिक मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के कार्यकाल वर्ष 2008 में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इन जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने संबंधी प्रस्ताव कैबिनेट में पारित कर 08 मई 2008 को केन्द्र शासन को भेजा गया था। छत्तीसगढ़ आदिम जाति कल्याण विभाग के द्वारा गलत नृजातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट भेजे जाने के परिपेक्ष्य में केन्द्र शासन के आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा कुछ त्रुटियों के सुधार हेतु वर्ष 2009 में छत्तीसगढ़ शासन को प्रकरण वापस किया गया था।

मछुआरा समाज के द्वारा त्रुटियों को सुधार करते हुए, राज्य सरकार से संशोधित नृजातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट शीघ्र भेजे जाने हेतु अनुरोध किया था किन्तु आज दिनांक तक संशोधित नृजातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट केन्द्र शासन को नहीं भेजी गई है, जिससे उक्त मांग लंबित है। इस हेतु समय-समय पर ज्ञापन के माध्यम से शासन को अवगत कराया गया था।
अतः उक्त जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने संशोधित नृजातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट केन्द्र शासन को शीघ्र प्रेषित किये जाने हेतु सादर अनुरोध है तथा जब तक उक्त जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं किया जाता है तब तक के लिए समुदाय के बच्चों को शासकीय सेवाओं एवं शैक्षणिक सस्थानों में कुछ प्रतिशत आरक्षण हेतु अध्यादेश जारी करने की महती कृपा करेंगे।