
रिपोर्टर — सुरज पुरेना
बिलासपुर / जनसुनवाई में आज बड़ी संख्या में पीड़ित नागरिकों ने अपनी व्यथा सुनाई। कहीं आवास की मांग, तो कहीं बिजली बिल की समस्या, वहीं विकलांग सुविधाओं के लिए वर्षों से चक्कर काट रहे हैं। प्रधानमंत्री की “मोदी की गारंटी” और राज्य सरकार की “मोर आवास, मोर बिजली, मोर सरकार” जैसी योजनाएं अब जमीन पर विफल होती नजर आ रही हैं।
डिजिटल मीटर बना ग्रामीणों की मुसीबत
मल्हार क्षेत्र सहित कई ग्रामीण इलाकों में डिजिटल स्मार्ट मीटरों के कारण ग्रामीण परेशान हैं। पहले जहाँ 300-500 रुपये तक बिल आता था, अब वही मीटर 2500-3000 रुपये का बिल थमा रहे हैं। इससे गरीब ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति और बिगड़ रही है।

“जहां झोपड़ी, वहीं घर” की घोषणा पर पानी
ग्राम गुरु, तहसील सकरी के ग्रामीणों को 24 घंटे का अल्टीमेटम देकर नगर निगम ने उनके मकान तोड़ दिए। पहले कई घर निर्माण के लिए पत्ता भी दिया गया था, पर अब वे बेघर हो गए हैं। पीड़ितों ने बताया कि उन्हें न तो समय दिया गया और न ही वैकल्पिक व्यवस्था।

विकलांग व्यक्ति 4 साल से बैटरी साइकिल के लिए परेशान
तिफरा बाजार के रहने वाले विकलांग संतोष कुमार ने बताया कि वे पिछले 3-4 साल से बैटरी चालित ट्राई साइकिल की मांग कर रहे हैं। लेकिन अधिकारियों ने आवेदन यह कहकर खारिज कर दिया कि विकलांगता सूची में नाम नहीं है। संतोष का कहना है कि साधारण ट्राई साइकिल से रोजमर्रा की गतिविधियाँ करना अत्यंत कठिन है।

सहायक शिक्षक भर्ती की पीड़िता दर-दर भटक रही
ग्राम लुफा बेलगहना निवासी दिव्या बैगा जिनके पिता स्व. राजू थे, पिछड़ी जनजाति वर्ग से आती हैं और सहायक शिक्षक सीधी भर्ती के लिए पात्र भी हैं, फिर भी वर्षों से उनका मामला लंबित है। शासन के आदेश के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।
कलेक्टर ने दिए गंभीर मामलों की जांच के निर्देश
कलेक्टर संजय अग्रवाल ने सभी मामलों को गंभीरता से लेते हुए संबंधित विभागों को जांच और त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। पीड़ित नागरिकों को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया गया है।