
रिपोर्टर — सुरज पुरेना
बिलासपुर न्यूज / कलेक्टर संजय अग्रवाल ने सोमवार को जिले के भू-अर्जन से जुड़े सभी लंबित प्रकरणों की गहन समीक्षा की। उन्होंने संबंधित विभागों को एक माह के भीतर सभी मामलों का निपटारा करने के सख्त निर्देश दिए।
127 रजिस्ट्री अटकी, विभागों को डेडिकेटेड इंजीनियर नियुक्त करने के निर्देश
बैठक में एसडीओ राजस्व सह भू-अर्जन अधिकारी, पीडब्ल्यूडी, जलसंसाधन, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण सहित सभी निर्माण विभागों के जिला अधिकारी मौजूद रहे। कलेक्टर ने कहा कि भू-अर्जन में विलंब से परियोजना की लागत बढ़ती है और लाभार्थियों को योजनाओं का समय पर लाभ नहीं मिलता। इससे सरकार को भी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है।

उन्होंने जानकारी दी कि अवार्ड पारित होने के बाद भी 127 रजिस्ट्री लंबित हैं। इसके लिए उन्होंने निर्माण विभागों को निर्देश दिए कि प्रत्येक विभाग एक डेडिकेटेड सब-इंजीनियर नियुक्त करे और लंबित रजिस्ट्री जल्द पूर्ण कराएं। साथ ही, रजिस्ट्री पूरी होने के बाद विभाग अपना नाम राजस्व अभिलेख में दर्ज कराएं, ताकि भविष्य में विवाद की स्थिति न बने।
कलेक्टर ने कहा कि भू-अर्जन की हर प्रक्रिया के लिए तय समय-सीमा है। समय पर कार्य नहीं होने पर केस लैप्स हो जाता है और पूरी प्रक्रिया फिर से शुरू करनी पड़ती है। उन्होंने निर्देश दिया कि रजिस्ट्री से पहले नक्शा-बटांकन का कार्य पूर्ण कर लिया जाए।
रतनपुर-केंवची राष्ट्रीय राजमार्ग के मुआवजा वितरण में देरी पर उन्होंने नाराजगी जताई और संबंधित विभाग को तुरंत वितरण करने को कहा। कलेक्टर ने आदेश दिया कि अवार्ड पारित होने के बाद मुआवजा वितरण शिविर लगाकर किया जाए, ताकि लाभार्थियों को समय पर उनका हक मिल सके।
अंत में उन्होंने निर्देश दिए कि भू-अर्जन मामलों की त्वरित निराकरण के लिए एसडीएम और विभागीय प्रमुखों की संयुक्त साप्ताहिक बैठक आयोजित की जाए और प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि निर्धारित समय-सीमा में कार्य पूर्ण न होने पर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।