
रिपोर्टर — सुरज पुरेना
बिलासपुर न्यूज / मस्तुरी तहसील के ग्राम पाराघाट के दर्जनों प्रभावित भू-स्वामियों ने कलेक्टर बिलासपुर को ज्ञापन सौंपकर राशि स्टील पावर प्लांट प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी कृषि भूमि कंपनी द्वारा अधिग्रहित की गई थी। अधिग्रहण के समय कंपनी ने स्पष्ट वादा किया था कि प्रभावित परिवारों के सदस्यों को तीन माह के भीतर रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। लेकिन एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद भी न तो नौकरी मिली और न ही पर्याप्त मुआवजा।
आवेदक संदीप यादव (19 वर्ष), विक्की बंजारे (25 वर्ष) और सुखदेव सोनी (27 वर्ष) ने बताया कि उनके परिवार की जमीन ही उनकी आजीविका का एकमात्र साधन थी, जो कंपनी ने अधिग्रहित कर लिया। इसके एवज में नौकरी और मुआवजा देने का आश्वासन दिया गया था। मगर अब तक उन्हें बार-बार आवेदन और मौखिक निवेदन करने के बावजूद केवल टालमटोल और धोखे का सामना करना पड़ा। आरोप है कि जब भी वे नौकरी की मांग करते हैं, तो कंपनी अधिकारी “नौकरी नहीं है” कहकर भगा देते हैं और शासन-प्रशासन का भय दिखाकर चुप रहने की धमकी देते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण के बाद उनके परिवारों की रोज़ी-रोटी का संकट गहरा गया है। जो गांव कभी कृषि प्रधान कहलाता था, अब “कंपनी प्रधान गांव” बनकर रह गया है। युवकों ने आरोप लगाया कि कंपनी की लापरवाही और वादाखिलाफी प्रभावित किसानों के साथ अमानवीय व्यवहार को दर्शाती है।

ग्रामीणों ने कलेक्टर से मांग की है कि अधिग्रहित भूमि के एवज में सभी प्रभावित परिवारों को तत्काल रोजगार प्रदान किया जाए और उन्हें न्याय दिलाया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर त्वरित कार्रवाई नहीं की गई, तो वे उग्र आंदोलन करने पर विवश होंगे।
आवेदकों ने अपने ज्ञापन के साथ भूमि संबंधी दस्तावेजों की छायाप्रतियां भी प्रस्तुत की हैं। उनका कहना है कि वर्ष 2012 से 2023 तक लगातार नौकरी के लिए भटकते हुए वे थक चुके हैं। फिलहाल 52 से अधिक परिवार रोजगार से वंचित हैं और दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि राशि स्टील प्लांट प्रबंधन न तो नौकरी दे रहा है और न ही जमीन लौटाने की बात कर रहा है। कंपनी की इस कथनी-करनी के अंतर ने प्रभावित परिवारों की समस्याएं और भी गहरी कर दी हैं।