
अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे योजनाओं का लाभ : कलेक्टर
कलेक्टर ने की आदि कर्मयोगी अभियान की समीक्षा
जिले के 102 आदिवासी बहुल गांव में संचालित है आदि कर्मयोगी अभियान
बिलासपुर, 24 सितम्बर 2025/कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल ने आज कलेक्टोरेट के एनआईसी कक्ष में वीसी के जरिए आदि कर्मयोगी अभियान के क्रियान्वयन की समीक्षा की। उन्होंने सभी विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि शासन की इस महत्वाकांक्षी अभियान के अंतर्गत पात्र एवं जरूरतमंद हितग्राहियों को योजनाओं का लाभ त्वरित और पारदर्शी ढंग से सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के इस महत्वपूर्ण अभियान के तहत जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों शासन की सभी योजनाओं से लाभान्वित करना है। गांव की आवश्यकताओं को समझते हुए विलेज एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिए। इसके लिए सभी विभागों में समन्वय को जरूरी बताया। बैठक में नगर निगम कमिश्नर श्री अमित कुमार, सीईओ जिला पंचायत श्री संदीप अग्रवाल, सहायक कलेक्टर श्री अरविंथ कुमारन सहित जिला स्तरीय अधिकारी, सीईओ जनपद एवं मैदानी अधिकारी-कर्मचारी वीसी के जरिए जुड़े थे।
कलेक्टर ने कहा कि आदि कर्मयोगी अभियान’ शासन की एक समावेशी पहल है, जो यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी पात्र व्यक्ति योजनाओं के लाभ से वंचित न रहे। सभी विभागों को मिलकर सामूहिक उत्तरदायित्व निभाना होगा। उन्होंने कहा कि यह समाज की उम्मीदों से जुड़ा विषय है। कलेक्टर ने अधिकारियों को लक्ष्य-आधारित कार्य योजना बनाकर अभियान की प्रभावशीलता बढ़ाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि शिविरों के आयोजन, फील्ड वेरिफिकेशन, आवेदन की स्वीकृति एवं लाभ वितरण कार्यों में गति लाई जाए। उनके जीवन-यापन के लिए स्थानीय परिस्थतियों के अनुरूप आजीविका गतिविधियां भी संचालित की जाए। उन्होंने मैदानी अमले से इस संबंध में चर्चा की और उनकी दिक्कतों को भी सुना। शिविरों में विभागीय समन्वय सुनिश्चित कर सभी हितग्राहियों को तत्काल सुविधा दी जाए। ग्राम सचिव, पटवारी व मैदानी कर्मचारियों को सक्रिय भूमिका निभाने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने जिला स्तरीय अधिकारियों को आदि सेवा केंद्र का निरीक्षण करने कहा। योजनाओं की जानकारी दीवार लेखन, पाम्पलेट, मुनादी व सोशल मीडिया के माध्यम से दी जाए। बैठक में आदिमजाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त, सीएमएचओ, जिला शिक्षा अधिकारी सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि आदि कर्मयोगी अभियान जिले के आदिवासी बहुल 102 ग्रामों में संचालित किया जा रहा है, जो जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाने के लिए शुरू किया गया है।
