
भारतमाला परियोजना में 220 करोड़ का महाघोटाला : छत्तीसगढ़ में विकास की राह पर भ्रष्टाचार का कालिख!…
रायपुर। छत्तीसगढ़ की बहुप्रतीक्षित भारतमाला परियोजना अब गहरे भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी नज़र आ रही है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने शुक्रवार 26 अप्रैल को ताबड़तोड़ छापेमारी करते हुए 16 ठिकानों पर दबिश दी और 4 वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया। प्रारंभिक जांच में ही करीब 220 करोड़ रुपये के गबन का पर्दाफाश हुआ है, और आशंका जताई जा रही है कि वास्तविक आंकड़ा इससे भी कहीं अधिक हो सकता है।

चौकाने वाले खुलासे :
- एक-एक भूमि पर 6-6 फर्जी नामों से मुआवजा जारी!
- सरकारी अधिकारियों, ठेकेदारों और भू-माफियाओं की सुनियोजित साजिश।
- वास्तविक किसानों को मुआवजे से वंचित कर करोड़ों की अवैध बंदरबांट।
EOW की रेड में बरामद : महत्वपूर्ण दस्तावेज, लैपटॉप, मोबाइल, फर्जी रजिस्ट्रियां और करोड़ों के संदिग्ध लेनदेन से जुड़े रिकॉर्ड।
गिरफ्तार हुए अधिकारी :
- निर्भय कुमार साहू – SDM, अटल नगर नवा रायपुर
- जितेंद्र कुमार साहू – पटवारी, अभनपुर
- दिनेश कुमार साहू – पटवारी, माना बस्ती रायपुर
- रोशन लाल वर्मा – आरआई, कचना रायपुर
दलालों और ठेकेदारों पर भी शिकंजा : इस घोटाले में केवल सरकारी अफसर ही नहीं, बल्कि जमीन दलाल, ठेकेदार और प्रभावशाली कारोबारी भी संलिप्त हैं। EOW ने अमरजीत सिंह गिल, हरजीत सिंह खनूजा, योगेश देवांगन समेत कई भू-माफियाओं के ठिकानों पर भी छापेमारी कर अहम सुराग जब्त किए हैं।
भारतमाला : सड़क नहीं, भ्रष्टाचार का हाईवे? भारत सरकार की भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक 950 किलोमीटर लंबा फोरलेन और सिक्सलेन हाईवे बनना प्रस्तावित है। इसके लिए किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी, जिन्हें भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुसार उचित मुआवजा और ‘सोलशियम’ (अतिरिक्त क्षतिपूर्ति) मिलना था। लेकिन ईमानदार किसानों के अधिकारों को रौंदते हुए, भू-माफियाओं और अफसरों ने कागजों पर फर्जीवाड़ा कर करोड़ों की मुआवजा राशि हड़प ली।
आंकड़ों की भयावह तस्वीर :
- प्रारंभिक जांच में 43 करोड़ का फर्जी मुआवजा सामने आया।
- विस्तृत जांच में घोटाले की राशि बढ़कर 220 करोड़ रुपये से अधिक तक पहुंच गई।
- अब तक 164 करोड़ रुपये के संदिग्ध वित्तीय लेनदेन के दस्तावेज मिल चुके हैं।
राजनीतिक भूचाल : नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर इस महाघोटाले की CBI जांच की मांग की है। विधानसभा बजट सत्र 2025 में भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया, जिसके बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मामले की जांच EOW को सौंपने का निर्णय लिया।अब EOW ने जांच को और अधिक तीव्र गति से आगे बढ़ा दिया है।
जनता के सवाल :
- क्या दोषी अफसरों और माफियाओं पर सख्त कार्रवाई होगी?
- क्या किसानों को उनका लूटा हुआ हक वापस मिलेगा?
- क्या इस बार घोटालेबाजों के सिर से राजनीतिक सरंक्षण हटेगा?
छत्तीसगढ़ की जनता अब न्याय और जवाबदेही चाहती है। “भारत माला नहीं, भ्रष्टाचार माला का पर्दाफाश चाहिए!”