
रिपोर्टर — सुरज पुरेना
Bilaspur / बिलासपुर नगर निगम द्वारा शहर को सुव्यवस्थित और सुगम बनाने के उद्देश्य से अतिक्रमण और अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। निगम और जिला प्रशासन द्वारा पूर्व में सूचना, नोटिस, मुनादी और चूना मार्किंग के बाद ही नाले-नालियों के ऊपर, बिना पार्किंग और व्यावसायिक निर्माणों पर कार्यवाही की जा रही है। ऐसे में यदि कांग्रेस नेता इस पर गरीबों की बात कर विरोध करते हैं, तो यह विडंबनापूर्ण है।

जनता से अपेक्षा की जाती है कि वे शहर की बेहतरी के लिए प्रशासन का सहयोग करें। वहीं, याद दिलाना जरूरी है कि जून 2020 में कोविड आपदा के दौरान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी शनिचरी बाजार, लकड़ी टाल मोहल्ला, गोंडपारा और सफाईकर्मी बस्ती में बुलडोजर चले थे। उस कार्रवाई में कई परिवार प्रभावित हुए, जिनमें शर्मा और महरौलिया परिवारों का नाम प्रमुख है। कई लोग मानसिक और आर्थिक आघात झेल चुके हैं।
उस समय कांग्रेस नेताओं द्वारा विस्थापितों को सिर्फ भाषणों से भरोसा दिया गया था। ऐसे में सवाल उठता है—क्या वह कार्रवाई मानवीय थी और आज की कार्रवाई अमानवीय है?
जनता जानना चाहती है कि पांच सालों के कांग्रेस शासन में शहर के लिए क्या ठोस काम हुआ? भावनात्मक नारे और झूठे श्रेय से आगे क्या कुछ बदला?