
रिपोर्टर — सुरज पुरेना
बिलासपुर न्यूज / छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) बिलासपुर के दन्त चिकित्सा विभाग ने उपलब्धियों का नया कीर्तिमान स्थापित किया है। पिछले दो वर्षों में विभाग ने 598 मेजर एवं 3227 माइनर सर्जरी करते हुए लगभग 4 हजार मरीजों का सफल इलाज किया। यह उपलब्धि विभाग को छत्तीसगढ़ के सभी मेडिकल कॉलेजों में अव्वल स्थान पर ले आई है।
सबसे महंगा और जटिल माने जाने वाला टीएमजे प्रत्यारोपण (जबड़े के जॉइंट का प्रत्यारोपण) भी यहां आयुष्मान कार्ड से निःशुल्क किया जा रहा है, जो निजी अस्पतालों में लाखों रुपये का खर्च मांगता है। अधिष्ठाता डॉ. रमणेश मूर्ति, संयुक्त संचालक एवं अस्पताल अधीक्षक डॉ. लखन सिंह और डॉ. भूपेंद्र कश्यप के मार्गदर्शन में गरीब मरीजों को आधुनिक तकनीक से मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया गया है।

विभाग ने अब तक 550 सड़क दुर्घटना (ट्रामा) पीड़ितों, 26 मुख कैंसर मरीजों, 2 भालू हमले के शिकारों, 10 चेहरे की विषमता, 9 ब्लैक फंगस और हजारों दांत निकालने के मामलों का सफल इलाज किया। जशपुर के धीर साय का मामला उल्लेखनीय है, जिसकी सड़क दुर्घटना में चेहरे की सभी हड्डियां टूट गई थीं। सर्जरी और प्लेटिंग से उनका चेहरा सामान्य किया गया, जिसकी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सराहना की।
चेहरे की विकृति दूर करने के लिए मरीजों का छाती का मांस निकालकर प्रत्यारोपण किया गया। जबड़े की बीमारी (टीएमजे डिसऑर्डर) के 30 मामलों में जोड़ों को काटकर या कृत्रिम जॉइंट लगाकर सफल उपचार किया गया। अविकसित और टेढ़े चेहरे वाले मरीजों के जबड़े को काटकर सीधा किया गया, जिससे उनका आत्मविश्वास और आकर्षण बढ़ा।
इन उपलब्धियों में विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप प्रकाश, डॉ. जंडेल सिंह ठाकुर, डॉ. हेमलता राजमणि, डॉ. केतकी कीनीकर, डॉ. प्रकाश खरे, डॉ. सोनल पटेल, वार्ड बॉय ओमकारनाथ, लैब अटेंडेंट उमेश साहू, निश्चेतना विभागाध्यक्ष डॉ. मधुमिता मूर्ति, डॉ. भावना रायजादा, डॉ. मिल्टन और उनकी टीम तथा नर्सिंग स्टाफ का अहम योगदान रहा।