
रिपोर्टर — सुरज पुरेना
Bilaspur । जिले में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और शिक्षकों की समुचित उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कलेक्टर संजय अग्रवाल ने आज मंथन सभाकक्ष में आयोजित प्रेस वार्ता में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि अब जिले में एक भी विद्यालय शिक्षकविहीन अथवा एकल शिक्षकीय नहीं रहा है।
कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि नगरीय क्षेत्रों में छात्रसंख्या की तुलना में अधिक शिक्षक पदस्थ थे, जबकि ग्रामीण और दूरस्थ अंचलों में शिक्षक की भारी कमी थी, जिससे शिक्षा प्रभावित हो रही थी। इस असंतुलन को दूर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण का निर्णय लिया गया है।
प्रेस वार्ता में बताया गया कि अब आदिवासी बाहुल्य गांवों जैसे खपराखेल, कुसुमखेड़ा, सबरियाडेरा, लोहर्सी, डिलवापारा में 2-2 शिक्षक भेजे गए हैं। वहीं एकल शिक्षकीय स्कूलों जैसे चितवार, जैतपुर, तरवा और नगोई में 3-3 शिक्षक पदस्थ किए गए हैं। हाईस्कूल कुकुदा, सैदा और कुकुर्दीकला में क्रमश: 5, 4 और 3 शिक्षकों की नियुक्ति की गई है।

शहरी क्षेत्रों में जहां छात्र संख्या कम और शिक्षक अधिक थे, वहां से अतिरिक्त शिक्षकों को जरूरतमंद स्कूलों में समायोजित किया गया है। जैसे पूर्व माध्यमिक शाला तारबहार में 11 शिक्षक थे, लेकिन छात्रों की संख्या केवल 142 थी। वहां से अतिरिक्त शिक्षकों को अन्य विद्यालयों में भेजा गया है।
राज्य में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप युक्तियुक्तकरण किया गया है। राज्य के प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में क्रमश: 7,296 और 5,536 शिक्षकों की आवश्यकता है, जबकि 5,370 शिक्षक अतिशेष हैं। बिलासपुर जिले में भी इसी आधार पर 457 प्राथमिक और 211 पूर्व माध्यमिक शिक्षकों का समायोजन किया गया है।
कलेक्टर ने यह भी कहा कि यह प्रक्रिया किसी भी प्रकार की कटौती नहीं, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता, समानता और बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। इस अवसर पर नगर निगम आयुक्त अमित कुमार, संयुक्त संचालक शिक्षा आरएन आदित्य, डीईओ अनिल तिवारी सहित अनेक मीडिया प्रतिनिधि उपस्थित रहे।